जज के घर में नकदी की गड्डियां, फिर भी FIR नहीं! उपराष्ट्रपति बोले — केंद्र विवश, लेकिन कार्रवाई जरूरी…

कोच्चि/नई दिल्ली/रायपुर । दिल्ली हाईकोर्ट के जज रहे जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से नकदी की गड्डियां मिलने के मामले ने न्यायपालिका की गरिमा और सरकार की मजबूरी — दोनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले में कार्रवाई की मांगों के बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि यह एक गंभीर आपराधिक मामला है और इसकी जांच अवश्य होनी चाहिए, लेकिन केंद्र सरकार एक पुराने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की वजह से अभी तक कोई कदम नहीं उठा सकी है।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने सोमवार को कोच्चि स्थित नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ में छात्रों और फैकल्टी से बातचीत के दौरान कहा, “न्यायाधीशों के खिलाफ संवैधानिक प्रावधानों के तहत कार्रवाई एक विकल्प जरूर है, लेकिन यह समस्या का स्थायी समाधान नहीं है। हर अपराध की जांच होनी चाहिए, चाहे वो किसी भी पद पर बैठा व्यक्ति क्यों न हो। कानून के समक्ष सभी समान हैं।”

धनखड़ ने भले ही सीधे नाम न लिया हो, लेकिन उनका इशारा जस्टिस यशवंत वर्मा की ओर था, जिनके सरकारी आवास में आग लगने के बाद बड़ी मात्रा में अधजली नकदी बरामद हुई थी। उन्होंने सवाल उठाया, “इतनी बड़ी धनराशि कैसे वहां पहुंची? क्या यह काला धन था? इसका स्रोत क्या था और इसका असली मालिक कौन है?”

read more-SECL भूमि अधिग्रहण परियोजना में बड़ा फर्जीवाड़ा: मुआवजा सूची में 152 काल्पनिक मकान, SDM ने दिए निरस्तीकरण के निर्देश… 

केंद्र सरकार क्यों है विवश?

उपराष्ट्रपति ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार चाहे तो इस मामले में तत्काल प्राथमिकी दर्ज कर सकती थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के 1990 के एक फैसले ने उसे विवश कर रखा है। उन्होंने कहा, “यह मामला सार्वजनिक डोमेन में है, सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे स्वीकार किया है, इसके बावजूद कोई एफआईआर अब तक दर्ज नहीं हुई है।”

उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही इस मामले में एफआईआर दर्ज होगी और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा। “हमें इस मामले की जड़ तक जाना होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो न्यायपालिका पर लोगों का विश्वास डगमगा सकता है।”

न्यायपालिका की स्वतंत्रता जरूरी, लेकिन जवाबदेही भी उतनी ही अहम

धनखड़ ने यह भी जोड़ा कि वे न्यायपालिका की स्वतंत्रता और न्यायाधीशों की सुरक्षा के प्रबल समर्थक हैं, लेकिन जब इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं, तो पूरे तंत्र पर प्रश्न उठते हैं। “न्यायपालिका को तुच्छ मुकदमों से बचाना चाहिए, लेकिन अगर किसी जज के घर से नकदी मिलती है, तो उसकी जांच जरूर होनी चाहिए।”

क्या था मामला?

14 मार्च की रात दिल्ली हाईकोर्ट के तत्कालीन जज जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने की सूचना मिली थी। जब फायर ब्रिगेड ने स्टोर रूम को खोला, तो वहां सैकड़ों की संख्या में 500-500 रुपये की अधजली गड्डियां बरामद हुई थीं। इस घटना के बाद वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट स्थानांतरित कर दिया गया। वहीं, सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक समिति ने उनके खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की है।

Author Profile

News Today India

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *