बीजिंग:
बांग्लादेश, चीन और पाकिस्तान की तरफ से त्रिपक्षीय सहयोग पर विस्तार से चर्चा हुई है. तीनों देशों ने एक अच्छे पड़ोसी, आपसी भरोसे, समानता, खुलेपन, समावेशिता और साझा विकास के सिद्धांतों के आधार पर आगे बढ़ने पर सहमति जताई है. यह पहला मौका था जब चीन ने इस तरह से त्रिपक्षीय बैठक में पाकिस्तान और बांग्लादेश के विदेश सचिवों की मेजबानी की. विदेश नीति के जानकार इसे भारत के लिए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम करार दे रहे हैं.
भारत की तरफ इशारा!
चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से इस पूरे मामले पर आधिकारिक बयान जारी किया गया है. इसमें कहा गया है कि गुरुवार को चीन के युन्नान प्रांत के कुनमिंग में हुई इस पहली मीटिंग में विदेश सचिवों ने व्यापार, निवेश, स्वास्थ्य, शिक्षा और समुद्री मामलों जैसे कई क्षेत्रों में त्रिपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई है. चीन ने अपने इस बयान में यह भी कहा है कि तीनों देश एक सच्चे बहुपक्षवाद और खुले क्षेत्रवाद का पालन करते हैं और इसे किसी किसी ‘तीसरे पक्ष’ पर निर्देशित न माना जाए. बताया जा रहा है कि तीसरे पक्ष से चीन का इशारा भारत की तरफ था.
क्या था मीटिंग का एजेंडा
इस हाई लेवल मीटिंग की सह-अध्यक्षता चीनी उप विदेश मंत्री सुन वेइदॉन्ग, बांग्लादेश के कार्यवाहक विदेश सचिव रूहुल आलम सिद्दीकी और पाकिस्तान की विदेश सचिव आमना बलूच ने की. पाकिस्ताप की विदेश सचिव ने इसमें वर्चुअली हिस्सा लिया था. पाकिस्तान और चीन के विदेश मंत्रालयों के आधिकारिक बयानों के अनुसार, तीनों देशों ने ‘आपसी विश्वास और अच्छे पड़ोसी सिद्धांतों’ के माध्यम से संबंधों को गहरा करने की प्रतिबद्धता जताई है. इसके अलावा को-ऑपरेशन प्रोजेक्ट्स को लागू करने और किए गए समझौतों का पालन करने के लिए एक वर्किंग ग्रुप की स्थापना पर भी जोर दिया गया है.
दिन पर दिन बदल रहे हालात
अभी तक इस बात की कोई ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है कि इस दौरान कौन-कौन से समझौते किए गए हैं. चर्चा में व्यापार और निवेश, कृषि, डिजिटल अर्थव्यवस्था, समुद्री विज्ञान, पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा, ग्रीन इनफ्रास्ट्रक्चर और लोगों के बीच आदान-प्रदान सहित कई क्षेत्रों में त्रिपक्षीय सहयोग को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया. यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब दक्षिण एशिया की राजनीति में बड़े परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं. आपको बता दें कि 15 साल के बाद बांग्लादेश और पाकिस्तान ने इस साल अप्रैल में उच्च स्तरीय बातचीत फिर से शुरू की है.
भारत के ‘विरोधी’ यूनूस?
ये मीटिंग ऐसे समय में हुई है जब मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में ढाका की अंतरिम सरकार पाकिस्तान के लिए ज्यादा उदार हो रही है. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल में दोनों देशों के बीच संबंध काफी तनावपूर्ण थे. यूनुस ने हसीना को शरण देने के लिए भारत की आलोचना की है और औपचारिक रूप से उनके प्रत्यर्पण का अनुरोध किया था. लेकिन भारत ने उनका अनुरोध पर अभी तक कोई भी जवाब नहीं दिया है.
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