रायपुर: छत्तीसगढ़ के रायपुर एयरपोर्ट पर सरकारी हेलीकॉप्टर ‘अगुस्ता -109’ क्रैश मामले की जांच के बाद राज्य सरकार के रुख को लेकर DGCA हैरान है। दरअसल, हेलीकॉप्टर ‘अगुस्ता -109’ क्रैश मामले में एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इंवेस्टीगेशन ब्यूरों की रिपोर्ट को भेजे 8 माह बीत गए, लेकिन छत्तीसगढ़ शासन ने ना तो दोषियों के खिलाफ कोई कार्यवाही की है, और ना ही आरोपियों की जिम्मेदारी तय कर पुलिस में FIR दर्ज कराने को लेकर भी कोई कदम नहीं उठाये है। इस रिपोर्ट में एविएशन विभाग की आपराधिक कार्यशैली सामने आई है। हर माह लाखों के मेनटेंस बिल के भुगतान के बावजूद 12 मई, 2022 को सरकारी हेलीकॉप्टर ‘अगुस्ता -109’ रायपुर एयरपोर्ट में क्रैश हो गया था। इस दुर्घटना में 2 पायलटों की मौके पर ही मौत हो गई थी।

DGCA की ओर से सूत्र तस्दीक कर रहे है कि लंबे वक़्त के बाद भी एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इंवेस्टीगेशन ब्यूरों की रिपोर्ट पर अमल ना करने से, हवाई दुर्घटनाओं का अंदेशा बना हुआ है। AAIB की रिपोर्ट नौकरशाही के शीर्ष स्तर पर दबाये-छिपाये जाने का मामला संगीन ही नहीं बल्कि आपराधिक दायरे में बताया जा रहा है। यह रिपोर्ट राज्य सरकार के एविएशन विभाग की कथनी और करनी पर सवालियां निशान लगा रही है। रायपुर एयरपोर्ट में सरकारी हेलीकॉप्टर ‘अगुस्ता -109’ दुर्घटनाग्रस्त होने के कई कारण सामने आये है। AAIB की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह हादसा गंभीर लापरवाही के कारण सामने आया था।

गौरतलब है कि इस दुर्घटना में कैप्टन गोपाल कृष्ण पांडा और कैप्टन एपी श्रीवास्तव की मौत हो गई थी। क्रैश हेलीकॉप्टर में उस समय आग लग गई थी, जब पायलट हेलीकॉप्टर को उतारने की कोशिश कर रहे थे। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने दुर्घटना के सटीक कारण का पता लगाने के लिए विस्तृत तकनीकी जांच का जिम्मा AAIB को सौंपा था। सूत्रों के मुताबिक 136 पेज वाली एक विस्तृत जांच रिपोर्ट में हेलीकॉप्टर क्रैश होने के कई कारणों के साथ ही एविएशन विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवालियां निशान लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तकनिकी खामी के चलते हेलीकॉप्टर ने अपना नियंत्रण खो दिया था। घटना के दौरान पायलट ने सामूहिक प्रयास के साथ-साथ पार्किंग ब्रेक भी लगाया था। क्योंकि “पार्क ब्रेक ऑन” की सक्रियता उसी समय दर्ज की गई थी।

AAIB के मुताबिक दुर्घटना के बाद टेल रोटर असेंबली की जांच से पता चला कि विभिन्न रखरखाव कार्यों के दौरान निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया था, जिसके कारण उड़ान के दौरान टेल रोटर पिच नियंत्रण खो गया। ऐसी भी टिप्पणियां थीं जिनसे पता चला कि हेलीकॉप्टर का रखरखाव निर्धारित प्रक्रियाओं के अनुसार ठीक से नहीं किया गया था। स्टेट एविएशन विभाग ने खराब रखरखाव प्रथाओं के अलावा, रखरखाव रिकॉर्ड का उचित अद्यतन भी नहीं किया था। यही नहीं हेलीकॉप्टर को एक बार ऐसे घटक के साथ उड़ाया गया था जो सेवानिवृत्ति अवधि को पार कर चुका था, इसका मतलब है कि प्रतिस्थापन/मरम्मत के लिए आवश्यक घटकों की पहचान करने के लिए कोई प्रणाली मौजूद नहीं है। AAIB के मुताबिक एविएशन विभाग (संगठन) के रखरखाव सेट-अप के भीतर सुरक्षा संस्कृति की कमी को भी दर्शाता है।

AAIB ने हेलीकॉप्टर की सुरक्षा और सेफ्टी की कोई उचित रिपोर्टिंग प्रणाली विभाग में नहीं पाई गई। यह घोर लापरवाही और निहित स्वार्थों-भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रही है। AAIB ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दिसंबर 2021 में संगठन के फिक्स्ड विंग विमान से जुड़ी घटना के बारे में चालक दल और रखरखाव कर्मियों ने तथ्यों को छिपाया गया था। संगठन में उड़ान सुरक्षा के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं है। संगठन में सुरक्षा संबंधी आंतरिक ऑडिट बिना उचित महत्व दिए किए जा रहे हैं। पिछले 05 वर्षों के दौरान इनमें से किसी भी ऑडिट में कोई निष्कर्ष नहीं निकाला गया है।

डीजीसीए सीएआर सेक्शन 5, सीरीज एफ, भाग 1 के अनुसार सीएआर में दी गई आवश्यकताएं अनुसूचित हवाई परिवहन सेवाओं/कार्गो सेवाओं/गैर-अनुसूचित हवाई परिवहन सेवाओं में लगे सभी ऑपरेटरों पर लागू होती हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि ये आवश्यकताएं राज्य सरकार, निजी ऑपरेटरों आदि जैसे अन्य ऑपरेटरों पर लागू होती हैं या नहीं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि डीजीसीए सीएआर सेक्शन 5, सीरीज एफ, भाग 1 में दी गई आवश्यकताओं को डीजीसीए द्वारा अनुमोदित संगठन के उड़ान सुरक्षा मैनुअल का हिस्सा बनाया गया है। दुर्घटना की तिथि तक विभाग द्वारा कोई सुरक्षा कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया था।

AAIB के जांच दल ने पाया कि हेलीकॉप्टर की सुरक्षा और सतर्कता में भारी अभाव पाया गया। विभाग द्वारा आपेक्षित सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया गया था। रिपोर्ट में जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी उंगली उठाई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक हेलीकॉप्टर की सुरक्षा की जिम्मेदारी और महत्वपूर्ण तकनिकी कार्य करने वाले कर्मचारी निर्धारित प्रक्रियाओं का पूरी लगन से पालन नहीं कर रहे थे। नतीजतन, हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया। जांच दल ने एफडीएपी के तहत किए गए एफडीआर डेटा विश्लेषण रिपोर्टों का अवलोकन किया, जो ऑपरेटर द्वारा प्रदान की गई थी। यह पाया गया है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान इनमें से किसी भी डेटा के विश्लेषण के दौरान कोई भी उल्लंघन नहीं पाया गया है।

AAIB की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विभाग के पास अपने एओपी के तहत केवल 02 विमान हैं, जिनमें से हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया और फिक्स्ड विंग बी200 विमान दिसंबर 2021 में हुई घटना के बाद से लंबे समय तक ग्राउंडेड रहा, जो सुरक्षित विमान संचालन के लिए जिम्मेदार कर्मियों द्वारा कार्यों की खराब पूर्ति को दर्शाता है। यह भी दर्शाता है कि प्रबंधन द्वारा गतिविधियों की देखरेख पूरी लगन से नहीं की जाती है। हेलीकॉप्टर क्रैश होने की मूल वजह ‘टेलरोटर’ को बताया जा रहा है, समय सीमा समाप्त होने के बावजूद भी इसे बदला नहीं गया था। जबकि हेलीकॉप्टर का मेंटेनेंस रिकॉर्ड एविएशन विभाग से ही नदारत पाया गया। DGCA के सूत्र हेलीकॉप्टर क्रैश को विभागीय साजिश की निगाह से देख रहे है।

उनके मुताबिक किसी निजी हेलीकॉप्टर ऑपरेटर को फायदा पहुंचाने के लिए रची गई आपराधिक साजिश से इंकार नहीं किया जा सकता। अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि निजी संस्था को लाभ पहुंचाने के लिए इस सरकारी हेलीकॉप्टर का सिर्फ कागजों में ही रखरखाव किया गया था। डीजीसीए अपनी वार्षिक निगरानी योजना के अनुसार समय-समय पर ऑपरेटर का निगरानी निरीक्षण करता है। हालाँकि, दुर्घटना की तिथि तक डीजीसीए द्वारा संगठन का कोई विनियामक ऑडिट नहीं किया गया है। चूँकि छत्तीसगढ़ सरकार जैसे राज्य सरकार के संगठन ज़्यादातर वीआईपी उड़ानों का संचालन करते हैं, इसलिए इसके लिए व्यापक विनियामक पर्यवेक्षण की आवश्यकता होती है। जानकारी के मुताबिक 12 मई 2022 को उड़ान के दौरान अचानक हेलीकॉप्टर में तकनीकी खामी का सामना पायलटों को करना पड़ा था। इस दौरान हेलीकॉप्टर ने उड़ान भरी और एंटी-टॉर्क नियंत्रण की कमी के कारण नुकसान उठाना पड़ा।

‘अगुस्ता 109’ हेलीकॉप्टर दाईं ओर आगे बढ़ा और बाद में कम से कम 7-8 पूर्ण 360 डिग्री आरएच घुमाव बनाए, जिसमें 360 डिग्री/सेकंड से ऊपर की गति पहुंच गई। हेलीकॉप्टर लगभग 1680 फीट एएमएसएल तक चढ़ गया और फिर जमीन के साथ अंतिम प्रभाव तक दक्षिणावर्त घूमते हुए फिर से नीचे उतरा, इस दौरान यह क्रैश हो गया। रिपोर्ट में बताया गया है कि हेलीकॉप्टर का उड़ान योग्यता प्रमाणपत्र, पंजीकरण प्रमाणपत्र और उड़ान योग्यता समीक्षा प्रमाणपत्र दुर्घटना के दिन वैध थे। प्रथम उड़ान के लिए लोड एवं ट्रिम तैयार किया गया था तथा सी.जी. सीमा के भीतर था। यह भी कहा गया है कि दुर्घटना से पहले हेलीकॉप्टर में कोई गड़बड़ी की सूचना नहीं थी। रखरखाव मैनुअल में निर्धारित प्रक्रियाओं के अनुसार हेलीकॉप्टर VT-CHG का रखरखाव ठीक से नहीं किया गया था। जबकि दोनों चालक दल (पायलट) उड़ान संचालित करने के लिए योग्य थे।

यह पता लगने के बाद कि टेल रोटर प्रभावशीलता में कोई समस्या है, हेलीकॉप्टर को PIC द्वारा शेष उड़ान के लिए उड़ाया गया। हालाँकि, निर्धारित प्रक्रियाओं के अनुसार चालक दल द्वारा नियंत्रण सौंपने/लेने के लिए कोई कॉल आउट नहीं किया गया था। यहाँ बड़ी खामी बरती गई थी। यह लापरवाही का मामला बताया जाता है। क्रैश होने से पूर्व चालक दल, रायपुर हवाई अड्डे पर वापस लौटा, लेकिन उसने तत्काल लैंडिंग नहीं की और पहले रनवे के ऊपर से नीचे की ओर गुजरने का निर्णय लिया, ताकि यह पता चल सके कि हेलीकॉप्टर किस न्यूनतम गति पर है। AAIB की रिपोर्ट के मुताबिक रायपुर हवाई अड्डे पर विमान द्वारा सामना की जाने वाली किसी भी आपात स्थिति के लिए कोई उचित योजना नहीं थी क्योंकि विमान के किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं थी।

हवाई अड्डे पर टोइंग आर्म की अनुपलब्धता के कारण चालक दल को पहले दृष्टिकोण के दौरान लैंडिंग बंद करनी पड़ी और ‘गो अराउंड’ करना पड़ा। चालक दल के बीच समन्वय और सीआरएम प्रक्रियाओं के अनुप्रयोग का अभाव था, जिसके परिणामस्वरूप दो लैंडिंग निरस्त हो गईं और उड़ान के महत्वपूर्ण चरणों के दौरान निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया। क्रैश हेलीकॉप्टर के ब्लैक बॉक्स ने सरकारी हेलीकॉप्टर और एविएशन विभाग की पोल खोल कर रख दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सह-पायलट ने पूरी उड़ान के दौरान हेलीकॉप्टर के व्यवहार और ऐसी स्थिति में लैंडिंग तकनीक के बारे में पीआईसी के साथ कई बार बातचीत की थी, जिसका अर्थ संभवतः यह है कि सह-पायलट को स्थिति की पूरी जानकारी नहीं थी और वह ऐसी स्थिति में हेलीकॉप्टर को संभालने के बारे में आश्वस्त नहीं था।
रिपोर्ट के मुताबिक तीसरे प्रयास के दौरान, हेलीकॉप्टर ने सफलतापूर्वक RWY 24 पर लैंडिंग की और लगभग 13 सेकंड के लिए RWY पर लुढ़का, जबकि धीरे-धीरे गति कम होती गई और 8° से RH की ओर चला गया। चालक दल ने इस विशिष्ट स्थिति के लिए निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया क्योंकि दोनों इंजनों को RFM आपातकालीन प्रक्रिया का पालन करने के बजाय FLT मोड में रखा गया था, जो चालक दल को “सबसे कम संभव शक्ति पर या यहां तक कि दोनों इंजनों के बाहर” इंजन के साथ लैंडिंग को अंजाम देने की सूचना प्रदान करता है।यही नहीं लैंडिंग के बाद ब्रेक न लगाने के कारण आईएएस पर उतरने के बाद हेलीकॉप्टर की गति धीमी हो गई, जो 52 किमी प्रति घंटे थी, जो 12 सेकंड में घटकर केवल 38 किमी प्रति घंटे रह गई। लैंडिंग के दौरान लगभग 13 सेकंड के बाद रोल में कलेक्टिव में अचानक वृद्धि हुई (2 सेकंड में एमपीओजी से 66.7% तक), जिसके कारण हेलीकॉप्टर ऊपर उठ गया और क्रैश लेंडिंग का सामना करना पड़ा।
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