छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में “अलीगढ़” मुश्किल में “इस्कॉन टेम्पल”, परिसर में सुअंर मार कर फेंके जाने की घटनाओं के आम होने से “स्वामी भक्त” हैरत में….

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गरियाबंद : छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में इस्कॉन टेम्पल निर्माण में जुटे भक्तों को इन दिनों बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। अंदेशा जाहिर किया जा रहा है, कि स्थानीय एक वर्ग विशेष यहां इस्कॉन टेम्पल निर्माण के विरोध में है। नतीजतन, कई असामाजिक तत्व आए दिन सुअंर मार कर मंदिर परिसर में फेंक रहे है। पहले तो ऐसी घटनाओं को स्वामी भक्तों ने हल्क़े में लिया, साफ़- सफाई करवा दी। लेकिन,आए दिन अब ऐसी घटनाओं के सामने आने से भक्तों को हैरानी हो रही है। इस इलाके में इस्कॉन टेम्पल के निर्माण का विरोध उनके समझ से परे बताया जा रहा है। जबकि मंदिर परिसर से लगभग 800 फीट दूर स्थित मदरसे को विवाद का मुख्य कारण बताया जा रहा है। यह भी बताया जा रहा है, कि पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष ने तमाम नियम- कायदों को दरकिनार कर इस मदरसे की नींव रखी थी। उन्होंने मदरसे से सटी सरकारी ज़मीन पर गार्डन भी बनाया था। लेकिन तालाब से सटी भूमि स्वामी के अधिकार क्षेत्र की निजी दान की इस ज़मीन पर पूर्वजों की इच्छानुसार इस्कॉन टेम्पल का निर्माण शुरू हो गया। यह भी बताया जाता है, कि इस इलाके में एक समुदाय विशेष की बहुलता के चलते जिला प्रशासन ने अपने हाथ खड़े कर लिए है।

जानकारी के मुताबिक,गरियाबंद शहर में कृषि अनुसंधान केंद्र के निकट स्थित छीन तालाब के करीब इस्कॉन टेम्पल का निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए स्थानीय मिश्रा परिवार ने 80 हज़ार स्क्वायर फ़ीट ज़मीन अपने पूर्वजो के नाम पर इस्कॉन टेम्पल को सौंपी थी। बताया जाता है, कि इस ज़मीन पर इन दिनों मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो गया है। लेकिन निर्माण में जिला प्रशासन की बेरुखी सामने आ रही है। स्वामी भक्तों की माने, तो एक धर्म विशेष के तुष्टिकरण में जुटे कलेक्टर साहब खुद इस्कॉन टेम्पल निर्माण के विरोधी बताए जाते है।

5 करोड़ की खरीदी करने वाले पूर्व DEO को किया गया निलंबित

उनकी माने तो पीड़ितों ने इस्कॉन टेम्पल परिसर में सुअंर मार कर फेंके जाने की घटना की जानकरी कई मौकों पर स्थानीय नगर पालिका और जिला प्रशासन के अधिकारियों को भी दी, लेकिन कलेक्टर के रुख को देखते हुए जिला प्रशासन और नगर पालिका परिषद् के अफसरों ने भी वैधानिक कार्यवाही को लेकर असामाजिक तत्वों के सामने अपने घुटने टेक दिए है। नतीजतन,परिसर में सुअंर मार के फेंके जाने की घटनाओं पर अब तक विराम नहीं लग पाया है। जानकारी के मुताबिक, एक बार फिर दो दिन पहले अर्थात बुधवार को इसी घटना की पुर्नावृति होने से स्वामी भक्तों में नाराजगी बढ़ गई है। उन्होंने कलेक्टर की कार्यप्रणाली पर हैरानी जताई है। उनके मुताबिक, ऐसी आपत्तिजनक घटनाओं पर रोक लगाने के बजाये जिला प्रशासन राजनैतिक हथकंडो पर जोर दे रहा है।

मुस्लिम आबादी के बीच इस्कॉन टेम्पल बनी विवाद की वजह –

रायपुर के बाद दूसरे जिले गरियाबंद में इस्कॉन टेम्पल का निर्माण शुरू हो गया है। बताया जाता है, कि स्वामी सिद्धार्थ महाराज ने इसके भूमि पूजन स्थल का निरीक्षण किया था। स्थानीय लोगो के मुताबिक, यह इलाका पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष के वोटरों से भरा-पटा है। उन्होंने इस इलाके में बाहरी लोगों की बसाहट कर बड़ी तादाद में ऐसे समर्थको का हुजूम तैयार कर लिया है, जो यहाँ इस्कॉन टेम्पल के विरोध में खड़े हो गए है।

आरोप लग रहा है, कि इस्कॉन टेम्पल मार्ग की आवाजाही रोकने के लिए सड़कों के दोनों ओर अतिक्रमण भी कर लिया गया है। ऐसे में आम नागरिको के अलावा वाहनों की आवाजाही में रोजाना गतिरोध उत्पन्न हो रहा है। आरोप यह भी लग रहा है, कि स्थानीय कॉंग्रेसी नेताओं के साथ कलेक्टर के मधुर संबंधों के चलते जानबूझ कर इलाके में नए मुद्दे को हवा दी जा रही है। पीड़ितों की दलील है, कि वैधानिक मामलो में भी सहयोग करने के बजाये अधिकारियों ने अपने हाथ खड़े कर लिए है। पीड़ितों की सुध लेने के बजाये प्रशासन स्थानीय राजनैतिक समीकरणों को महत्त्व दे रहा है।

जानकारी के मुताबिक, इस्कॉन टेम्पल और मदरसा दोनों ही स्थान छीन तालाब से सटे हुए है। जबकि मदरसा भी कांग्रेस राज में निर्मित बताया जाता है। इसकी निर्माण अनुमति को लेकर भी विवाद की स्थिति देखी जा रही है। इलाके में छत्तीसगढ़ के बजाये बाहरी राज्यों के लोगो की लगातार बढ़ती आबादी भी जाँच के दायरे में बताई जाती है। उधर, न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने विवाद के मद्देनजर कलेक्टर से प्रतिक्रिया लेनी चाही, लेकिन उनका मोबाइल स्विच ऑफ प्राप्त हुआ।

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News Today India

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