अमेरिका /रायपुर :अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की गिरफ्तारी का AI वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। इस वायरल वीडियो में दिखाया गया है कि बराक ओबामा को FBI एजेंट व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में गिरफ्तार कर रहे हैं। वहीं इस दौरान ट्रंप हंसते हुए दिख रहे हैं। वीडियो में ओबामा के हाथ को बांधकर उन्हें ट्रंप के कदमों में झुका हुआ दिखाया गया है। वीडियो को “कोई भी कानून से ऊपर नहीं” कैप्शन के साथ शेयर किया गया है। आलोचकों ने इसे भ्रामक और उकसाने वाला बताया है।
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वीडियो में दिख रहा है कि व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में डोनाल्ड ट्रंप और बराक ओबामा बैठे हुए हैं। इसके बाद 3 एजेंट्स आते हैं। एजेंट्स ओबामा का कॉलर पकड़कर उन्हें धक्का देकर नीचे गिरा देते हैं और उनके हाथों में हथकड़ियां लगाते हैं।पास में ही बैठे ट्रंप यह सब देखकर मुस्कुरा रहे हैं। वीडियो के अंत में ओबामा जेल की पोशाक में एक सेल के अंदर नजर आते हैं। वीडियो की शुरुआत ओबामा के एक पुराने बयान से होती है, जिसमें वे कहते हैं, ‘कोई भी, खासकर राष्ट्रपति भी कानून से ऊपर नहीं है।” इसके बाद कई डेमोक्रेटिक नेताओं की क्लिप जोड़ी गई है, जिनमें जो बाइडेन भी शामिल हैं, जो दोहराते हैं – ‘कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।’जेल में ऑरेंज यूनिफॉर्म में ओबामा, सोशल मीडिया पर विरोध
वीडियो के आखिर में ओबामा को जेल की ऑरेंज यूनिफॉर्म में दिखाया गया है, जैसे वे किसी कैदी की तरह जेल में खड़े हों। इस वीडियो को देखने के बाद सोशल मीडिया पर जबरदस्त प्रतिक्रिया देखने को मिली। कुछ लोगों ने इसे “उकसाने वाला” बताया, जबकि कुछ ने आरोप लगाया कि यह वीडियो लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश है, खासकर Epstein फाइल्स से, जिसमें ट्रंप पर Jeffrey Epstein के साथ संबंधों के आरोप हैं।
इस वीडियो को लेकर ट्रम्प की ओर से कोई सफाई नहीं दी गई है कि यह वीडियो फर्जी है। उन्होंने यह नहीं बताया कि यह सिर्फ एक काल्पनिक दृश्य है। कई लोगों ने इसे ‘उकसाने वाला’ बताया और कहा कि एक राष्ट्रपति का इस तरह के फर्जी वीडियो शेयर करना लोकतंत्र के लिए खतरनाक हो सकता है।कुछ का यह भी कहना है कि यह एपस्टीन केस से ध्यान भटकाने की कोशिश है।
बता दें कि ट्रंप ने कुछ हफ्ते पहले ही ओबामा पर प्रशासन पर 2016 के चुनाव में उनके खिलाफ चुनावी धोखाधड़ी की साजिश रचने का आरोप लगाया था। इससे पहले अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने भी ट्रम्प पर 2016 के चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगाया।
गबार्ड ने कहा कि ओबामा और उनके प्रशासन के कई सीनियर अधिकारियों ने मिलकर एक देशद्रोही साजिश रची थी। इनका मकसद यह साबित करना था कि ट्रम्प की 2016 की राष्ट्रपति चुनाव में जीत रूस की मदद से हुई थी।

गबार्ड बोलीं- 6 लोगों ने मिलकर साजिश रची
गबार्ड ने कहा कि इस साजिश का हिस्सा वह मशहूर ‘रिपोर्ट’ भी थी, जिसे एक ब्रिटिश खुफिया विश्लेषक क्रिस्टोफर स्टील ने तैयार किया था। गबार्ड का कहना है कि इस रिपोर्ट को अमेरिकी एजेंसियों ने अविश्वसनीय माना था, इसके बावजूद इसे सबूत की तरह इस्तेमाल किया गया।गबार्ड ने ओबामा के अलावा जिन लोगों को साजिश में शामिल बताया है, उनमें उस समय के राष्ट्रीय खुफिया निदेशक जेम्स क्लैपर, पूर्व CIA निदेशक जॉन ब्रेनन, तत्कालीन विदेश मंत्री जॉन कैरी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सुजैन राइस, FBI के डिप्टी डायरेक्टर एंड्रयू मैक्केब के नाम हैं।
गबार्ड के ऑफिस ने जो दस्तावेज जारी किए हैं, उनमें से एक का शीर्षक है ‘रूस होक्स’ (यानी रूस को लेकर गढ़ा गया झूठ)। इस रिपोर्ट में 9 दिसंबर 2016 को ओबामा की राष्ट्रीय सुरक्षा टीम की बैठक का जिक्र है।इसमें कहा गया है कि उस मीटिंग के बाद खुफिया एजेंसियों के कुछ अफसरों ने वॉशिंगटन पोस्ट जैसे मीडिया संस्थानों को जानबूझकर गलत जानकारी लीक करनी शुरू की, जिसमें कहा गया कि रूस ने अमेरिकी चुनाव को प्रभावित करने के लिए साइबर हथियारों का इस्तेमाल किया।
उसी रात वॉशिंगटन पोस्ट को एक और लीक दी गई, जिसमें यह झूठा दावा किया गया कि CIA ने एक गोपनीय रिपोर्ट में कहा है कि रूस ने ट्रम्प को जिताने के लिए हस्तक्षेप किया। गबार्ड का कहना है कि यह सब एक संगठित और जानबूझकर किया गया षड्यंत्र था, जिससे जनता की राय को बदला जा सके और ट्रम्प को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित किया जा सके। गबार्ड की रिपोर्ट में यह आरोप लगाया गया है कि इस नए आकलन की वजह से चुनाव से पहले किए गए उन पुराने खुफिया आकलनों को दबा दिया गया, जिनमें कहा गया था कि रूस के पास अमेरिकी चुनावों को हैक करने का न तो इरादा था और न ही क्षमता।
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