रायपुर, छत्तीसगढ़ सरकार मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी के खिलाफ निर्णायक जंग के लिए पूरी तरह तैयार है। “मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान” का 12वां चरण 25 जून से शुरू हो रहा है, जिसके तहत राज्य के मलेरिया प्रभावित और संवेदनशील क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर स्क्रीनिंग, उपचार और जनजागरूकता गतिविधियां संचालित की जाएंगी।
बस्तर में दिखा बड़ा असर, मलेरिया के मामलों में 72% की गिरावट
अभियान के पहले चरण की तुलना में बस्तर संभाग में मलेरिया की पॉजिटिविटी दर 4.6% से घटकर मात्र 0.46% रह गई है। वर्ष 2015 की तुलना में 2024 में मलेरिया मामलों में 72% की गिरावट दर्ज की गई है। मलेरिया वार्षिक परजीवी सूचकांक (API) भी 27.40 से घटकर 7.11 हो गया है। सरकार का लक्ष्य वर्ष 2027 तक मलेरिया को पूरी तरह खत्म करना है।
10 जिलों में 16.77 लाख लोगों की होगी स्क्रीनिंग
अभियान के दौरान बस्तर संभाग के सात जिलों सहित गरियाबंद, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई और कवर्धा के संवेदनशील क्षेत्रों में 16.77 लाख लोगों की मलेरिया जांच की जाएगी। इसके लिए 2235 सर्वे दलों को जिम्मेदारी दी गई है, जो 2527 गांवों और 659 उपस्वास्थ्य केंद्रों को कवर करेंगे।
सिर्फ जांच नहीं, रोकथाम और जागरूकता पर भी फोकस
अभियान केवल जांच-उपचार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि मच्छरों की उत्पत्ति रोकने, जलजमाव खत्म करने, सफाई को बढ़ावा देने और मच्छरदानी (एलएलआईएन) के उपयोग को लेकर भी लोगों को जागरूक किया जाएगा।
सरकार का मानना है कि मलेरिया पर काबू पाने के लिए सिर्फ दवाएं नहीं, बल्कि समय पर जांच, मच्छरों की रोकथाम और जनभागीदारी जरूरी है। यही रणनीति छत्तीसगढ़ को मलेरिया मुक्त बनाने की दिशा में निर्णायक साबित होगी।
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