Iran Israel War: इज़राइल की खुफिया कोशिश: खामनेई को मारने की साजिश, क्यों नाकाम रहा मोसाद?

Iran Israel War: ईरान और इज़राइल के बीच हालिया 12 दिनों के संघर्ष ने मध्य-पूर्व में तनाव को चरम पर पहुंचा दिया। इस युद्ध के दौरान इज़राइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों, वैज्ञानिकों और सैन्य अधिकारियों को निशाना बनाते हुए गंभीर नुकसान पहुंचाया। जवाब में ईरान ने भी इज़राइल के प्रमुख शहरों पर हमले किए।

लेकिन अब इस पूरे घटनाक्रम में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इज़राइल के रक्षा मंत्री इस्राइल काट्ज ने एक इंटरव्यू में बताया कि इज़राइल ने ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामनेई को निशाना बनाने की योजना बनाई थी। हालांकि, रणनीतिक अवसर न मिलने के कारण यह मिशन अधूरा रह गया।

खामनेई कैसे बच निकले?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, खामनेई हमले की आंशका को देखते हुए तेहरान के बाहर लाविजान इलाके के एक अज्ञात, गहरे भूमिगत बंकर में छिप गए थे। उन्होंने संचार के सभी साधनों को बंद कर दिया था, ताकि उनकी लोकेशन का कोई सुराग न लगे। वे एक बेहद गुप्त सुरक्षा यूनिट की निगरानी में हैं, जिसकी जानकारी ईरान के अधिकांश सैन्य अफसरों को भी नहीं है।

ब्रिटिश अख़बार The Telegraph की मानें तो यह सुरक्षा यूनिट आईआरजीसी की एक टॉप-सीक्रेट शाखा है, जिसे सिर्फ सुप्रीम लीडर की सुरक्षा के लिए गठित किया गया है। यहां तक कि इस यूनिट के सदस्य भी गुमनाम रहते हैं।

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मोसाद क्यों असफल रहा?

इज़राइल की खुफिया एजेंसी मोसाद, जिसे दुनिया की सबसे ताकतवर एजेंसियों में गिना जाता है, इस बार खामनेई का पता नहीं लगा सकी। वजह साफ है—खामनेई ने खुद को पूरी तरह डिजिटल संचार से काट लिया था। आदेश और संदेशों का आदान-प्रदान भी सिर्फ व्यक्तिगत अंगरक्षकों के ज़रिये हो रहा था।

क्या अब भी खतरा बरकरार है?

दूसरी तरफ, इज़राइल के रक्षा मंत्री ने यह भी संकेत दिया है कि भले ही युद्धविराम हो गया हो, लेकिन खामनेई को निशाना बनाने की संभावना अभी भी खत्म नहीं हुई है। उन्होंने हिज़्बुल्ला प्रमुख हसन नसरल्लाह का उदाहरण देते हुए कहा कि “खामनेई को समझदारी दिखानी चाहिए और गहराई में छिपे रहना चाहिए।”

खामनेई की प्रतिक्रिया

हाल ही में टेलीविज़न पर दिए एक संबोधन में खामनेई ने अमेरिका और इज़राइल दोनों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ईरान कभी आत्मसमर्पण नहीं करेगा और यह संघर्ष ईरान की जीत के रूप में याद किया जाएगा। उन्होंने अमेरिका के हमलों को ‘असरहीन’ बताया।

यह पहली बार है जब इज़राइल ने सार्वजनिक रूप से यह माना है कि वह ईरान के सर्वोच्च नेता को मारने की योजना बना चुका था। इस खुलासे से यह साफ हो गया है कि दोनों देशों के बीच का टकराव अब सिर्फ सैन्य ठिकानों तक सीमित नहीं, बल्कि नेतृत्व स्तर तक जा पहुंचा है।

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