रायपुर, छत्तीसगढ़ में मलेरिया के खिलाफ चल रही निर्णायक लड़ाई अब असर दिखा रही है। “मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान” के 12वें चरण की शुरुआत 25 जून 2025 से हो चुकी है, और इससे पहले ही राज्य, खासकर बस्तर संभाग में मलेरिया नियंत्रण को लेकर ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर चुका है।
बस्तर संभाग में मलेरिया दर 0.46% पर सिमटी
बस्तर संभाग, जो एक समय मलेरिया की दृष्टि से अति संवेदनशील क्षेत्र माना जाता था, वहां अभियान के प्रभाव से धनात्मकता दर 4.60% से घटकर केवल 0.46% रह गई है। वर्ष 2015 की तुलना में 2024 में मलेरिया मामलों में 72% की गिरावट दर्ज की गई है। वहीं बस्तर संभाग का API (Annual Parasite Index) 27.4 से घटकर 7.11 हो गया है। यह आंकड़े बताते हैं कि अब मलेरिया नियंत्रण महज कागज़ों तक सीमित नहीं, बल्कि ज़मीनी स्तर पर साकार हो रहा है।
मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ने जताई संतुष्टि
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा, “यह सफलता छत्तीसगढ़ सरकार की जन-केंद्रित सोच, मितानिनों की मेहनत और स्वास्थ्य कर्मियों के समर्पण का परिणाम है। बस्तर जैसे दुर्गम क्षेत्र में मलेरिया को नियंत्रण में लाना आसान नहीं था, लेकिन सामूहिक प्रयासों ने इसे संभव बना दिया।”
read more- छत्तीसगढ़ में मलेरिया के खिलाफ आर-पार की लड़ाई: 16.77 लाख लोगों की होगी जांच
स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि राज्य सरकार 2027 तक पूरे छत्तीसगढ़ को मलेरिया मुक्त बनाने के लक्ष्य पर तेजी से काम कर रही है। “घर-घर जाकर जांच, त्वरित इलाज, मच्छरदानी वितरण, और साफ-सफाई व जलजमाव नियंत्रण जैसे उपायों से मलेरिया पर प्रभावी अंकुश लगाया जा रहा है,” उन्होंने बताया।
जागरूकता और तकनीक का मिला साथ
राज्य सरकार राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NVBDCP) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दिशानिर्देशों के अनुरूप काम कर रही है। दीर्घकालिक प्रभाव वाली मच्छरदानियों (LLIN), पीएचई विभाग के सहयोग से जल स्रोतों की साफ-सफाई और मच्छरों के लार्वा पर नियंत्रण जैसे उपाय इस अभियान में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अब सिर्फ सपना नहीं
स्वास्थ्य विभाग द्वारा अब तक 11 चरणों में लाखों लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है, और अब 12वें चरण में 16.77 लाख लोगों की जांच की जा रही है। इस बार भी फोकस बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर, कांकेर, कोंडागांव सहित अन्य अति संवेदनशील जिलों पर है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा, “छत्तीसगढ़ अब दवाओं पर निर्भर नहीं, जनचेतना, अनुशासन और भागीदारी के साथ इस लड़ाई को लड़ रहा है। मलेरिया के खिलाफ यह जंग तब तक जारी रहेगी, जब तक राज्य शून्य मलेरिया की स्थिति तक नहीं पहुंच जाता।”छत्तीसगढ़ ने मलेरिया के खिलाफ अपनी रणनीति, जनभागीदारी और सशक्त स्वास्थ्य ढांचे के जरिए जो प्रगति हासिल की है, वह पूरे देश के लिए एक मिसाल है। अगर यही रफ्तार बनी रही, तो 2027 तक “मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़” सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि एक वास्तविकता बनकर उभरेगा।
Author Profile
Latest entries
NATIONALAugust 13, 2025ED ने 248 करोड़ रुपये के रोहतास प्रोजेक्ट्स मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आठ ठिकानों पर छापे मारे
NATIONALAugust 13, 2025Delhi पुलिस ने कुत्तों को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का विरोध कर रही महिला कार्यकर्ता पर हमला,देखे वीडियो…
Big breakingAugust 13, 2025BIG BREAKING: SBI के ATM में लगी भीषण आग, शॉर्ट सर्किट से हुआ नुकसान
CrimeAugust 13, 2025Rourkela: बैंक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई, दस्तावेज बरामद