नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने भारत को खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के अभियान का नेतृत्व किया। प्रधानमंत्री ने डॉ. स्वामीनाथन के योगदान को ऐतिहासिक और युगांतरकारी बताया।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपने संदेश में कहा, “डॉ. स्वामीनाथन का जीवन भारत के किसानों के प्रति समर्पण का प्रतीक रहा है। उन्होंने वैज्ञानिक दृष्टिकोण और नवाचार के जरिए हरित क्रांति का नेतृत्व किया, जिसकी बदौलत देश भुखमरी के संकट से उबर सका और खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना।”
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डॉ. स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति का जनक माना जाता है। उन्होंने 1960 और 70 के दशक में गेहूं और चावल की ऊपज बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे देश को विदेशी आयात पर निर्भरता से मुक्ति मिली। उनका जोर हमेशा टिकाऊ कृषि, किसानों के अधिकार और पर्यावरण संरक्षण पर रहा।
प्रधानमंत्री ने कहा, “डॉ. स्वामीनाथन की सोच और कार्य हमें प्रेरणा देते रहेंगे। वे न केवल एक वैज्ञानिक थे, बल्कि किसानों के सच्चे हितैषी और राष्ट्रनिर्माता भी थे। देश उनके योगदान को कभी नहीं भुला सकता।”
डॉ. स्वामीनाथन को उनके जीवनकाल में पद्म भूषण, पद्म विभूषण जैसे अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। वे भारतीय कृषि अनुसंधान जगत की सबसे प्रभावशाली आवाजों में से एक रहे हैं।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान समय में जब जलवायु परिवर्तन और संसाधनों की कमी जैसे गंभीर संकट सामने हैं, तब डॉ. स्वामीनाथन की नीतियां और सुझाव पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो गए हैं।
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