बिलासपुर : बिलासपुर पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पदस्थ बाबूओं का नया कारनामा सामने आया है। यहाँ पुलिस मुख्यालय के आदेश को ही कई वर्षों से बाबूओं ने फाइलों में कैद कर दिया था। लेकिन जब बारी रिटायमेंट के करीब की आई, तो अचानक ये आदेश फाइलों से बाहर आ गया। मामला वर्ष 2013 में लगभग 5 करोड़ की हेरा -फेरी का बताया जाता है। इस मामले में बिलासपुर पुलिस अधीक्षक में कार्यरत स्टोनो बृजबिहारी साहू एवं लिपिक राजकुमारी किण्डों की भूमिका सामने आई है। जानकारी के अनुसार, बिलासपुर पुलिस अधीक्षक में कार्यालय लिपिक राजकुमार किण्डों के द्वारा कर्मचारियों का मेडिकल बिल में हेरा-फेरी कर लगभग 4 से 5 करोड़ की हेरा-फेरी की गई थी।
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मामले की जांच तत्कालिन पुलिस अधीक्षक द्वारा गठित कमेटी के माध्यम कराई गई थी। कमेटी में तत्कालीन हेड क्वाटर डीएसपी अजीत पाटले एवं मुख्य लिपिक रामपाल खर्सन ने जाँच की थी। बताया जाता है, कि जाँच में दोषी पाए गए कर्मियों को सितंबर 2013 में दण्डित भी किया गया था। इसमें लिपिक राजकुमारी किण्डो के विरूद्ध आरोप सिद्ध पाये जाने से उसे एस.आई. (अ) पद से डिमोशन कर ए.एस.आई. (अ) किया गया था। अब तस्दीक की जा रही है, कि किंडो ने स्टोनो बृजबिहारी से सांठगांठ कर दंडनीय कार्यवाही वाले उक्त आदेश को सालों से दबा कर रखा था। सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है, कि इस प्रकरण को वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में नहीं लाने के चलते सरकारी अभिलेखों में उक्त आदेश की प्रति आज पर्यन्त तक अप्राप्त है, यही नहीं आरोपी किण्डो के सर्विस रिकार्ड में आदेश के तहत किसी प्रकार का सजा का उल्लेख नहीं किया गया है।

जानकारी के मुताबिक, वर्ष 2013 से वर्ष 2018 तक राजकुमारी किण्डो के द्वारा लगभग 60-70 पुलिस कर्मियों के यात्रा भत्ते में हेराफेरी की गई थी। कई दस्तावेजों में कूटरचना कर शासन को करोड़ो की क्षति पहुंचाई गई थी। यह भी बताया जाता है, कि उक्त प्रकरण में अपराध सिद्ध होने पर थाना सिविल लाईन बिलासपुर में अपराध क्रमांक 74/2018 के तहत धारा 409, 420, 467, 471, भा.द.वि. कायम कर विवेचना की गई थी।

इस मामले में तमाम आरोपी वर्तमान में जमानत पर रिहा है, मामला न्यायालय में विचाराधीन बताया जाता है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, राजकुमारी किण्डो के द्वारा पुलिस महानिदेशक पुलिस मुख्यालय नवा रायपुर में जमानत से रिहा होने के बाद बहाली हेतु आवेदन दिया गया था। इस आवेदन को तत्कालीन पुलिस उप महानिरीक्षक (लेख एवं कल्याण) आरएस नायक के द्वारा शासन के नियमानुसार अपराध, गंभीर प्रकरणों में लेख पाये जाने से राजकुमारी किण्डो को दिनांक 31-01-2019 को निलंबन से बहाल हेतु अभ्यावेदन को निरस्त कर दिया गया था।

जानकारी सामने आ रही है, कि इसी आदेश को स्टोनो बृजबिहारी साहू के द्वारा सांठ-गांठ कर फाइलों में कैद कर दिया गया था। जबकि इस आदेश को तत्कालीन पुलिस अधीक्षक के संज्ञान में लाये बगैर दिनांक 04-02-2019 को को फिर से राजकुमारी किण्डो बहाल कर दिया गया था। आरोप लग रहे है, कि बाबू राज के कारण स्टेनो तथा आरोपी मनमानी पर उतर आए है। यह भी बताया जाता है, कि वरिष्ठ अधिकारियों की आँखों में धूल झोंक कर राहत पाने के लिए राजकुमारी किण्डो के द्वारा उच्च न्यायालय में सी.आर.एम.पी. नंबर 3125/2025 प्रस्तुत किया गया था। अभिलेखों का अवलोकन करने के पश्चात् मुख्य न्यायाधीश की बैंच वाली डीबी बैंक प्रकरण को ख़ारिज कर दिया था। एक बार फिर मामले के सामने आने से बाबुओं में हड़कंप देखा जा रहा है, प्रकरण की उच्च स्तरीय जाँच कर कड़ी कार्यवाही की मांग की गई है।
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