प्रयागराज/रायपुर । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में फिजियोथेरेपी की डिग्री को एमबीबीएस के समकक्ष मानने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक राज्य सरकार या संबंधित नियुक्ति प्राधिकारी फिजियोथेरेपी की डिग्री को चिकित्सा विज्ञान (मेडिसिन) के बराबर मान्यता नहीं देते, तब तक इसे एमबीबीएस के समकक्ष नहीं माना जा सकता।
यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार की एकलपीठ ने संध्या यादव द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। याचिका में मांग की गई थी कि फिजियोथेरेपी में स्नातक की डिग्री को खाद्य सुरक्षा अधिकारी पद की भर्ती में एमबीबीएस डिग्री के समकक्ष शैक्षणिक योग्यता माना जाए।
कोर्ट ने इस पर विचार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को यह डिग्री राज्य इंटीग्रल यूनिवर्सिटी, लखनऊ से प्राप्त हुई है, लेकिन यह देखना आवश्यक है कि क्या इस डिग्री को वास्तव में मेडिसिन/चिकित्सा विज्ञान की डिग्री के बराबर माना जा सकता है।
हाईकोर्ट ने साफ किया कि यह अधिकार केवल राज्य सरकार या नियोजन प्राधिकरण को है कि वे किसी विशेष डिग्री को सेवा नियमों के अंतर्गत आवश्यक शैक्षणिक योग्यता के रूप में स्वीकार करें या नहीं। जब तक ऐसा कोई आधिकारिक निर्णय नहीं होता, न्यायालय इस दिशा में कोई निर्देश नहीं दे सकता।
इस फैसले के साथ अदालत ने यह भी संकेत दिया कि फिजियोथेरेपी को चिकित्सा विज्ञान के रूप में मान्यता देने का निर्णय भारतीय चिकित्सा परिषद या राज्य सरकार की नीति पर निर्भर करेगा, न कि न्यायालय के निर्देश पर।
यह निर्णय न केवल इस याचिका को प्रभावित करता है, बल्कि ऐसे सभी मामलों में एक स्पष्ट दृष्टिकोण भी प्रस्तुत करता है जहाँ फिजियोथेरेपी और चिकित्सा विज्ञान के बीच की सीमाएं तय करने की मांग की जाती है।
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